रुचिगर हो लोकसंगीतक स्वरूप: अंशु माला



मैथिली संगीत साधिका आ लोकप्रिय गायिका अंशु माला सं चन्दन कुमार झा द्वारा लेल गेल साक्षात्कारक प्रमुख अंश— 

अहाँक संगीत सँ जोड़ाओ कोना भेल?
संगीतक प्रति बचपन सं आकर्षण छल. भगवती गीत आ नचारी माँ सं बच्चे सं सुनैत रही आ गाबय केर प्रयास सेहो करी. हमर माँ (श्रीमती शशि किरण झा) संगीतक विधिवत शिक्षा नहि नेने छलीह मुदा मैथिली पारंपरिक गीत मे पारंगत छलीह. माँ कें गबैत सुनी आ हमहूँ गाबय लगलहुं. सुर आ लय केर ज्ञान माँ सं भेटल जे हमर परम सौभाग्य छल. स्कूल सं सेहो खूब प्रोत्साहन भेटल. स्कूल मे सांस्कृतिक गतिविधि मे हिस्सा लैत रही. एक -एक कार्यक्रम नीक जेना मोन अछि जे कोना उत्साहित रहैत छलहुं, पप्पा-माँ सं सदा प्रोत्साहन भेटल. 

अहाँ संगीतक प्रशिक्षण कतए सँ नेने छी?
हमर संगीतक प्रशिक्षण पटना सं शुरू भेल अछि. जाहि क्रम मे श्रीमती उषा चौधरी, प्रो. नीरा चौधरी, श्री देवानंद ठाकुर, श्री गौतम बनर्जी आ एखन वर्त्तमान मे पद्मभूषण पं. राजन साजन मिश्र जी सं शिक्षा ल' रहल छी. प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद सं 'प्रभाकर' (हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत ) केलहुं. मिरांडा हाउस कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय सं हिन्दुस्तानी संगीत मे एमए केलाक बाद प्रोफेशनल कोर्स सेहो संगीत मे केलहुं. मास्टर ऑफ़ फिलोसोफी (एम.फिल ). एखन दिल्ली विश्वविद्यालय सं हिन्दुस्तानी संगीत मे पीएचडी क' रहल छी.

अहाँ विद्यापति संगीतपर विशेष रूपेँ काज कऽ रहल छी? एहि विषयमे जानकारी दिअ?
विद्यापति संगीत हमरा बहुत आकर्षित केलक अछि. हुनक गीत सब बहुत कर्णप्रिय छनि. विद्यापति संगीत मिथिलाक धरोहर अछि. मिथिलाक पहिचान, शान हमर संस्कृति थिक. जाहि मे विद्यापति संगीत एकटा मजबूत कड़ी अछि. हम विद्यापति संगीत पर जे काज क' रहल छी, ओहि मे समय बेसी लागि रहल अछि कारण हम पूरा समय नहि द' पबैत छी. 

मैथिली संगीत मधुरगर आ' कर्णप्रिय होएतहुँ लोकप्रिय नहि भऽ पबैत अछि से किएक?
ई कहब जे मैथिली लोकसंगीत लोकप्रिय नहि छै वा प्रचार मे नहि अछि गलत होयत. मैथिली संगीत खूब लोकप्रिय छै. एखनुक समय मे मैथिली गीत खूब सुनल जा रहल अछि. globlisation आ internnet केर ज़माना छै. युवा वर्गक समक्ष अपन लोक धुन आ व्यवहार गीत संगीत कें ओही रूप मे राखय पड़त, जाहि सं युवा वर्ग अपना कें दूर नहि बुझथि. व्यावहारिक भाषाक प्रयोग करय पड़त. एकर मतलब अश्लीलता एकदम नहि अछि. एकरा हटाओ क' लोकप्रिय गीत-संगीत रचल जा सकैत अछि.

मैथिली लोकगीत अन्य भाषाक लोकगीत सँ कोन तरहेँ भिन्न छैक?
मैथिली लोकसंगीत अन्य भाषाक लोकसंगीत सं 'महाकवि विद्यापति' केर नामेटा सं अलग भ' जाइत अछि. कहबी छै  ने...बस नाम ही काफी है...!  से विद्यापति केर नामे काफी छनि. बाकी साहित्यक दृष्टि सं सेहो समृद्ध अछि मैथिली गीत आ संस्कार गीत सभ एकरा आओर विशेष बना देइत अछि.

भारतीय लोक-संगीतमे मैथिली लोकगीत गौण सन देखाइत अछि...खासकऽ पंजाबी, मराठीक अपेक्षा. एकर की कारण?
भारतीय संगीत मे मैथिली लोक संगीत कें पहिचान बनेबाक लेल मैथिल समाज कें अप्पन संस्कार सं जुडय पड़त. अपना भाषा आ संस्कारक सम्मान करय पडत. आ तुलना हरदम दोसर सं करब गलत अछि. स्वयं सं शुरू क' परिवार, समाज आ फेर व्यापकता दिस बढय पडत.

मैथिली लोकगीतक उत्थानक हेतु की कएल जेबाक चाही?
मैथिली लोकगीतक उत्थान तहन होयत जहन हमरा आ अहाँ कें मैथिली गीत सुनब नीक लागय लागत. नीक कोना लागत....जहन हम एकरा प्रति अप्पन श्रद्धा आ राखब. एकर बाद रास्ता अपने निकलि जायत.

अहाँक आगाँक कार्ययोजना की सभ अछि?
हमर मोन मे सदिखन ई विचार अबैत अछि जे मिथिला-मैथिल संस्कृति कें आगू निःस्वार्थ भाव सं सोचबाक आवश्यकता अछि. हमरा सभ मे कतहु ने कतहु किछु कमी अछि, जे समाज तेना क' स्वीकार नहि क' पबैत अछि. ओही कमी कें दूर करबाक आवश्यक अछि. से कोना दूर होयत ? हमहूँ ओहि कमी कें ताकि रहल छी. जहिया भेटत तहिया कहब.

मैथिली लोकगीतकेँ भोजपुरी सँ कतेक खतरा छैक?
मैथिली लोकसंगीत कें भोजपुरी सं कोनो खतरा नहि अछि. ई हमर सबहक भ्रम अछि. हम सब अप्पन कला-कलाकार आ साहित्य कें नहि प्रोत्साहित आ प्रचारित क' सकलहुं ई हमर सबहक दोष अछि. दोसर पर दोषारोपण करब सर्वथा ग़लत अछि.

शास्त्रीयता सँ मैथिली संगीत कतेक निकट वा दूर अछि ?
देखियौ, लोकसंगीत शास्त्रीय संगीतक जननी थिक. मैथिली संगे यएह सम्बन्ध छै.

एकटा लड़की वा महिलाक लेल एहि क्षेत्रमे अपन स्थान बनायब कतेक सहज वा कठिन छैक?
मिथिला मे एखनो बहुत कठिन अछि. हमरा त' एखनो सुनय पडैत अछि. लोक गाम घर मे नटुआ कें जे नचैत देखैत छथि, एखनो बहुत लोक ओही सं तुलना करय लगैत छथि. हम ओहि विचारधारा कें बदलय चाहैत छी.

अपन परिवार सँ कतेक सहयोग भेटल?
अप्पन परिवार, पप्पा-माँ सं सहयोग भेटल आ हमर प्रसंशक सब सं बहुत ज्यादा प्यार, आशीर्वाद आओर सहयोग भेटल. हुनका सबके प्यार-स्नेह हमरा लड़बाक ताक़ति देइत अछि. जतेक प्यार हमरा माँ-पप्पा सं भेटल ओहि सं बेसी अप्पन प्रसंशक सब सं भेटि रहल अछि.  

अंतमे अपन प्रसंशक सभसँ किछु कहय चाहब?
हम अप्पन प्रसंशक सभक आभारी छी. अहाँ सबहक स्नेह, आशीर्वाद आ सहयोग अतुलनीय अछि. हम हरदम ई प्रयास राखब जे हमर कोनो कदम सं, कोनो वचन सं हमर मिथिला आहत नहि होअय. जल्दिए हम अहाँ सभक समक्ष किछु नव मधुर मैथिली गीत ल' प्रस्तुत होयब. अहां सबहक स्नेह आ आशीर्वादक अभिलाषी.

अहांक मिथिलाक बेटी छी, हम अहांक लाज छी।
बनब अहांक लाज बाबूजी, करब ने नराज बाबूजी।।
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